हनुमान और अंगद

हनुमान जी और अंगद जी दोनों ही समुद्र लाँघने में सक्षम थे, फिर पहले हनुमान जी लंका क्यों गए? "अंगद कहइ जाउँ मैं पारा। जियँ संसय कछु फिरती बारा॥" अंगद जी बुद्धि और बल में बाली के समान ही थे! समुद्र के उस पार जाना भी उनके लिए बिल्कुल सरल था। किन्तु वह कहते हैं कि लौटने में मुझे संसय है। कौन सा संसय था लौटने में? बालि के पुत्र अंगद जी और रावण का पुत्र अक्षयकुमारा दोनों एक ही गुरु के यहाँ शिक्षा प्राप्त कर रहे थे। अंगद बहुत ही बलशाली थे और थोड़े से शैतान भी थे। वो प्रायः अक्षयकुमारा को थप्पड़ मार देते थे जिससे की वह मूर्छित हो जाता था। अक्षयकुमारा बार बार रोता हुआ गुरुजी के पास जाता और अंगद जी की शिकायत करता, एक दिन गुरुजी ने क्रोधित होकर अंगद को श्राप दे दिया कि अब यदि अक्षय कुमार पर तुमने हाथ उठाया तो तुम उसी क्षण मृत्यु को प्राप्त हो जाओगे। अगंद जी को यही संसय था कि कंही लंका में उनका सामना अक्षयाकुमारा से हो गया तो श्राप के कारण गड़बड़ हो सकती है, इसलिए उन्होंने पहले हनुमान जी से जाने को कहा। और ये बात रावण भी जानता था, इसलिए जब राक्षसों ...